और हमने उनमें अधिक्तर को वचन पर स्थित नहीं पाया[1] तथा हमने उनमें अधिक्तर को अवज्ञाकारी पाया।
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1. इस से उस प्रण (वचन) की ओर संकेत है, जो अल्लाह ने सब से "आदि काल" में लिया था कि क्या मैं तुम्हारा पालनहार (पूज्य) नहीं हूँ? तो सब ने इसे स्वीकार किया था। (देखियेः सूरह आराफ, आयतः172)