हे ईमान वालो! अल्लाह तथा उसके रसूल के साथ विश्वासघात न करो और न अपनी अमानतों (कर्तव्य) के साथ विश्वासघात[1] करो, जानते हुए।
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1. अर्थात अल्लाह और उस के रसूल के लिये जो तुम्हारा दायित्व और कर्तव्य है उसे पूरा करो। (इब्ने कसीर)


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