और जब मानव को कोई दुःख पहुँचता है, तो हमें लेटे, बैठे या खड़े होकर पुकारता है। फिर जब हम उसका दुःख दूर कर देते हैं, तो ऐसे चल देता है, जैसे कभी हमें किसी दुःख के समय पुकारा ही न हो! इसी प्रकार, उल्लंघनकारियों के लिए उनके करतूत शोभित बना दिये गये हैं।


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