और वे ये भी कहते हैं कि आपपर कोई आयत (चमत्कार) क्यों नहीं उतारा गया[1]? आप कह दें कि परोक्ष की बातें तो अल्लाह के अधिकार में हैं। अतः, तुम प्रतीक्षा करो, मैंभी तुम्हारे साथ प्रतीक्षा कर रहा हूँ[2]।
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1. जैसे कि सफ़ा पर्वत सोने का हो जाता। अथवा मक्का के पर्वतों के स्थान पर अद्यान हो जाते। (इब्ने कसीर) 2. अर्थात अल्लाह के आदेश की।