और समूद[1] की ओर उनके भाई सालेह़ को भेजा। उसने कहाः हे मेरी जाति के लोगो! अल्लाह की इबादत (वंदना) करो, उसके सिवा तुम्हारा कोई पूज्य नहीं है। उसीने तुम्हें धरती से उत्पन्न किया और तुम्हें उसमें बसा दिया, अतः उससे क्षमा माँगो और उसी की ओर ध्यानमग्न हो जाओ। वास्तव में, मेरा पालनहार समीप है ( और दुआयें) स्वीकार करने वाला है[2]।
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1. यह जाति तबूक और मदीना के बीच "अल-ह़िज्र" में आबाद थी। 2. देखियेः सूरह बक़रह, आयतः186