और हे मेरी जाति के लोगो! ये अल्लाह[1] की ऊँटनी तुम्हारे लिए एक निशानी है, इसे छोड़ दो, अल्लाह की धरती में चरती फिरे और इसे कोई दुःख न पहुँचाओ, अन्यथा तुम्हें तुरन्त यातना पकड़ लेगी।
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1. उसे अल्लाह की ऊँटनी इस लिये कहा गया है कि उसे अल्लाह ने उन के लिये एक पर्वत से निकाला था। क्योंकि उन्हों ने उस की माँग की थी कि यदि पर्वत से ऊँटनी निकलेगी तो हम ईमान लायेंगे। (तफ़्सीरे क़ुर्तुबी)


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