वह जो (आदेश) चाहे, मिटा देता है और जो चाहे, शेष (साबित) रखता है। उसी के पास मूल[1] पुस्तक है।
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1. अर्थात "लौह़े मह़फ़ूज़" जिस में सब कुछ अंकित है।
वह जो (आदेश) चाहे, मिटा देता है और जो चाहे, शेष (साबित) रखता है। उसी के पास मूल[1] पुस्तक है।
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1. अर्थात "लौह़े मह़फ़ूज़" जिस में सब कुछ अंकित है।