और कहा, जिन लोगों ने शिर्क (मिश्रणवाद) कियाः यदि अल्लाह चाहता, तो हम उसके सिवा किसी चीज़ की इबादत (वंदना) न करते, न हम और न हमारे बाप-दादा और न उसके आदेश के बिना किसी चीज़ को ह़राम (वर्जित) करते। ऐसे ही, इनसे पूर्व वाले लोगों ने किया। तो रसूलों पर केवल खुले रूप से उपदेश पहुँचा देना है।


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