पवित्र है वह जिसने रात्रि के कुछ क्षण में अपने भक्त[1] को मस्जिदे ह़राम (मक्का) से मस्जिदे अक़्सा तक यात्रा कराई। जिसके चतुर्दिग हमने सम्पन्नता रखी है, ताकि उसे अपनी कुछ निशानियों का दर्शन कराएँ। वास्तव में, वह सब कुछ सुनने-जानने वाला है।
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1. अर्थात मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को। इस आयत में उस सुप्रसिध्द सत्य की चर्चा की गई है जो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से संबन्धित है। जिसे परिभाषिक रूप से "इस्राअ" कहा जाता है। जिस का अर्थ हैः रात की यात्रा। इस का सविस्तार विवरण ह़दीसों में किया गया है। भाष्यकारों के अनुसार हिजरत के कुछ पहले अल्लाह ने आप को रात्रि के कुछ भाग में मक्का से मस्जिदे अक्सा तक जो फ़िलस्तीन में है यात्रा कराई। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का कथन है कि जब मक्का के मिश्रणवादियों ने मुझे झुठलाया, तो मैं ह़िज्र में (जो काबा का एक भाग है) खड़ा हो गया। और अल्लाह ने बैतुल मक़्दिस को मेरे लिये खोल दिया। और मैं उन्हें उस की निशानियाँ देख कर बताने लगा। (सह़ीह़ बुख़ारी, ह़दीसः4710)