और मनुष्य (क्षुब्ध होकर) अभिशाप करने लगता[1] है, जैसे भलाई के लिए प्रार्थना करता है और मनुष्य बड़ा ही उतावला है।
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1. अर्थात स्वयं को और अपने घराने को शापने लगता है।
और मनुष्य (क्षुब्ध होकर) अभिशाप करने लगता[1] है, जैसे भलाई के लिए प्रार्थना करता है और मनुष्य बड़ा ही उतावला है।
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1. अर्थात स्वयं को और अपने घराने को शापने लगता है।