जो संसार ही चाहता हो, हम उसे यहीं दे देते हैं, जो हम चाहते हैं, जिसके लिए चाहते हैं। फिर हम उसका परिणाम (परलोक में) नरक बना देते हैं, जिसमें वह निंदित-तिरस्कृत होकर प्रवेश करेगा।
जो संसार ही चाहता हो, हम उसे यहीं दे देते हैं, जो हम चाहते हैं, जिसके लिए चाहते हैं। फिर हम उसका परिणाम (परलोक में) नरक बना देते हैं, जिसमें वह निंदित-तिरस्कृत होकर प्रवेश करेगा।