और किसी प्राण को जिसे अल्लाह ने ह़राम (अवैध) किया है, वध न करो, परन्तु धर्म विधान[1] के अनुसार और जो अत्याचार से वध (निहत) किया गया, हमने उसके उत्तराधिकारी को अधिकार[2] प्रदान किया है। अतः वह वध करने में अतिक्रमण[3] न करे, वास्तव में, उसे सहायता दी गयी है।
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1. अर्थात प्रतिहत्या में अथवा विवाहित होते हुये व्यभिचार के कारण, अथवा इस्लाम से फिर जाने के कारण। 2. अधिकार का अर्थ यह है कि वह इस के आधार पर हत्दण्ड की माँग कर सकता है, अथवा वध या अर्थदण्ड लेने या क्षमा कर देने का अधिकारी है। 3. अर्थात एक के बदले दो को या दूसरे की हत्या न करे।


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