आप कह दें कि यदि अल्लाह के साथ दूसरे पूज्य होते, जैसा कि वे (मिश्रणवादी) कहते हैं, तो वे अर्श (सिंहासन) के स्वामी (अल्लाह) की ओर अवश्य कोई राह[1] खोजते।
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1. ताकि उस से संघर्ष कर के अपना प्रभुत्व स्थापित कर लें।
आप कह दें कि यदि अल्लाह के साथ दूसरे पूज्य होते, जैसा कि वे (मिश्रणवादी) कहते हैं, तो वे अर्श (सिंहासन) के स्वामी (अल्लाह) की ओर अवश्य कोई राह[1] खोजते।
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1. ताकि उस से संघर्ष कर के अपना प्रभुत्व स्थापित कर लें।