जब नवयुवकों ने गुफा की ओर शरण ली[1] और प्रार्थना कीः हे हमारे पालनहार! हमें अपनी विशेष दया प्रदान कर और हमारे लिए प्रबंध कर दे हमारे विषय के सुधार का।
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1. अर्थात नवयुवकों ने अपने ईमान की रक्षा के लिये गुफा में शरण ली। जिस गुफा के ऊपर आगे चल कर उन के नामों का स्मारक शिला लेख लगा दिया गया था। उल्लेखों से यह विद्वित होता है कि नवयुवक ईसा अलैहिस्सलाम के अनुयायियों में से थे। और रोम के मुश्रिक राजा की प्रजा थे। जो एकेश्वरवादियों का शत्रु था। और उन्हें मूर्ति पूजा के लिये बाध्य करता था। इस लिये वे अपने ईमान की रक्षा के लिये जार्डन की गुफा में चले गये जो नये शोध के अनुसार जार्डन की राजधानी से 8 की◦ मी◦ दूर (रजीब) में अवशेषज्ञों को मिली है। जिस गुफा के ऊपर सात स्तंभों की मस्जिद के खण्डर और गुफा के भीतर आठ समाधियाँ तथा उत्तरी दीवार पर पुरानी युनानी लिपी में एक शिला लेख मिला है और उस पर किसी जीव का चित्र भी है। जो कुत्ते का चित्र बताया जाता है और यह रजीब ही (रक़ीम) का बदला हुआ रूप है। (देखियेः भाष्य दावतुल क़ुर्आनः 2/983)


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