निःसंदेह मैं ही अल्लाह हूँ, मेरे सिवा कोई पूज्य नहीं, तो मेरी ही इबादत (वंदना) कर तथा मेरे स्मरण (याद) के लिए नमाज़ की स्थापना[1] कर।
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1. इबादत में नमाज़ सम्मिलित है, फिर भी उस का महत्व दिखाने के लिये उस का विशेष आदेश दिया गया है।


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