वह पुकारता है अल्लाह के अतिरिक्त उसे, जो न हानि पहुँचा सके उसे और न लाभ, यही दूर[1] का कुपथ है।
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1. अर्थात कोई दुःख होने पर अल्लाह के सिवा दूसरों को पुकारना।
वह पुकारता है अल्लाह के अतिरिक्त उसे, जो न हानि पहुँचा सके उसे और न लाभ, यही दूर[1] का कुपथ है।
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1. अर्थात कोई दुःख होने पर अल्लाह के सिवा दूसरों को पुकारना।