जो सोचता है कि उस[1] की सहायता नहीं करेगा अल्लाह लोक तथा प्रलोक में, तो उसे चाहिए कि तान ले कोई रस्सी आकाश की ओर, फिर फाँसी देकर मर जाये। फिर देखे कि क्या दूर कर देती है उसका उपाय, उसके रोष (क्रोध)[2] को?
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3. अर्थात अपने रसूल की। 2. अर्थ यह है कि अल्लाह अपने नबी की सहायता अवश्य करेगा।