जो काफ़िर हो गये[1] और रोकते हैं अल्लाह की राह से और उस मस्जिदे ह़राम से, जिसे सबके लिए हमने एक जैसा बना दिया है; उसके वासी हों अथवा प्रवासी तथा जो उसमें अत्याचार से अधर्म का विचार करेगा, हम उसे दुःखदायी यातना चखायेंगे[1]।
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1. इस आयत में मक्का के काफ़िरों को चेतावनी दी गई है, जो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और इस्लाम के विरोधी थे और उन्हों ने आप को तथा मुसलमानों को "ह़ुदैबिया" के वर्ष मस्जिदे ह़राम से रोक दिया था।2. यह मक्का की मुख्य विशेष्ताओं में से है कि वहाँ रहने वाला अगर कुफ़्र और शिर्क या किसी बिद्अत का विचार भी दिल में लाये तो उस के लिये घोर यातना है।


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