तो क्या वे धरती में फिरे नहीं? तो उनके ऐसे दिल होते, जिनसे समझते अथवा ऐसे कान होते, जिनसे सुनते, वास्तव में, आँखें अन्धी नहीं हो जातीं, परन्तु वो दिल अन्धे हो जाते हैं, जो सीनों में[1] हैं।
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1. आयत का भावार्थ यह है कि दिल की सूझ बूझ चली जाती है तो आँखें भी अन्धी हो जाती हैं और देखते हुये भी सत्य को नहीं देख सकतीं।


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