तथा हमने भेजा नूह़[1] को उसकी जाति की ओर, उसने कहाः हे मेरी जाति को लोगो! इबादत (वंदना) अल्लाह की करो, तुम्हारा कोई पूज्य नहीं है उसके सिवा, तो क्या तुम डरते नहीं हो?
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1. यहाँ यह बताया जा रहा है कि अल्लाह ने जिस प्रकार तुम्हारे आर्थिक जीवन के साधन बनाये उसी प्रकार तुम्हारे आत्मिक मार्ग दर्शन की व्यवस्था की और रसूलों को भेजा जिन में नूह़ अलैहिस्सलाम प्रथम रसूल थे।


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