अथवा उन अंधकारों के समान हैं, जो किसी गहरे सागर में हो और जिसपर तरंग छायी हो, जिसके ऊपर तरंग हो, उसके ऊपर बादल हो, अन्धकार पर अन्धकार हो, जब अपना हाथ निकाले, तो उसे भी न देख सके और अल्लाह जिसे प्रकाश न दे, उसके लिए कोई प्रकाश[1] नहीं।
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1. अर्थात काफ़िर, अविश्वास और कुकर्मों के अन्धकार में घिरा रहता है। और यह अन्धकार उसे मार्ग दर्शन की ओर नहीं आने देते।


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