और तुम मत बनाओ, रसूल के पुकारने को, परस्पर एक-दूसरे को पुकारने जैसा[1], अल्लाह तुममें से उन्हें जानता है, जो सरक जाते हैं, एक-दूसरे की आड़ लेकर। तो उन्हें सावधान रहना चाहिए, जो आपके आदेश का विरोध करते हैं कि उनपर कोई आपदा आ पड़े अथवा उनपर कोई दुःखदायी यातना आ जाये।
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1. अर्थताः "हे मुह़म्मद!" न कहो। बल्कि आप को हे अल्लाह के नबी! हे अल्लाह के रसूल! कह कर पुकारो। इस का यह अर्थ भी किया गया है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की प्रार्थना को अपनी प्रार्थना के समान न समझो, क्योंकि आप की प्रार्थना स्वीकार कर ली जाती है।