तो यदि हमें पुनः संसार में जाना होता,[1] तो हम ईमान वालों में हो जाते।
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1. इस आयत में संकेत है कि संसार में एक ही जीवन कर्म के लिये मिलता है। और दूसरा जीवन प्रलोक में कर्मों के फल के लिये मिलेगा।


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