और तुम देखते हो पर्वतों को, तो उन्हें समझते हो स्थिर (अचल) हैं, जबकि वे उस दिन उड़ेंगे बादल के समान, ये अल्लाह की रचना है, जिसने सुदृढ़ किया है प्रत्येक चीज़ को, निश्चय वह भली-भाँति सूचित है उससे, जो तुम कर रहे हो।


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