तो (हे नबी!) आप नहीं सुना सकेंगे मुर्दों[1] को और नहीं सुना सकेंगे बहरों को पुकार, जब वे भाग रहे हों, पीठ फेरकर।
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1. अर्थात जिन की अन्तरात्मा मर चुकी हो और सत्य सुनने के लिये तैयार न हों।


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