निःसंदेह, अल्लाह ही के पास है प्रलय[1] का ज्ञान, वही उतारता है वर्षा और जानता है जो कुछ गर्भाशयों में है और नहीं जानता कोई प्राणी कि वह क्या कमायेगा कल और नहीं जानता कोई प्राणी कि किस धरती में मरेगा। वास्तव में, अल्लाह ही सब कुछ जानने वाला, सबसे सूचित है।
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1. अबू हुरैरह (रज़ियल्लाहु अन्हु) फ़रमाते हैं कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम एक दिन लोगों के बीच बैठे हुये थे कि एक व्यक्ति आ गया, और प्रश्न किया कि अल्लाह के रसूल! ईमान क्या है? आप ने कहाः ईमान यह है कि तुम अल्लाह पर तथा उस के फ़रिश्तों, उस के सब रसूलों और उस से मिलने और फिर दोबारा जीवित किये जाने पर ईमान लाओ। उस ने कहाः इस्लाम क्या है? आप ने कहाः इस्लाम यह कि केवल अल्लाह की इबादत करो और किसी वस्तु को उस का साझी न बनाओ, तथा नमाज़ की स्थापना करो और ज़कात दो, तथा रमज़ान के रोजे रखो। उस ने कहाः इह़्सान किया है? आप ने कहाः इह़्सान यह है कि अल्लाह की इबादत ऐसे करो जैसे तुम उसे देख रहे हो। यदि यह न हो सके तो यह ख़्याल रखो कि वह तुम्हें देख रहा है। उस ने कहाः प्रलय कब होगी? आप ने कहाः मैं प्रश्नकर्ता से अधिक नहीं जानता। परन्तु मैं तुम्हें उस की कुछ निशानियाँ बताऊँगाः जब स्त्री अपने स्वामिनी को जन्म देगी और जब नंगे निःवस्त्र लोग मुखिया हो जायेंगे। पाँच बातों में जिन को अल्लाह ही जानता है। और आप ने यही आयत पढ़ी। फिर वह व्यक्ति चला गया। आप ने कहाः उसे बुलाओ, तो वह नहीं मिला। आप ने फ़रमायाः यह जिब्रील थे, तुम्हें तुम्हारा धर्म सिखाने आये थे। (सह़ीह़ बुख़ारीः4777)