तथा याद रखो उसे, जो पढ़ी जाती है तुम्हारे घरों में, अल्लाह की आयतों तथा हिक्मत में से।[1] वास्तव में अल्लाह सूक्ष्मदर्शी, सर्व सूचित है।
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1. यहाँ ह़िक्मत से अभिप्राय ह़दीस है जो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का कथन, कर्म तथा वह काम है जो आप के सामने किया गया हो और आप ने उसे स्वीकार किया हो। वैसे तो अल्लाह की आयत भी ह़िक्मत है किन्तु जब दोनों का वर्णन एक साथ हो तो आयत का अर्थ अल्लाह की पुस्तक और ह़िक्मत का अर्थ नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की ह़दीस होती है।


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