तथा (हे नबी!) आप वह समय याद करें, जब आप उससे कह रहे थे, उपकार किया अल्लाह ने जिसपर तथा आपने उपकार किया जिसपर, रोक ले अपनी पत्नी को तथा अल्लाह से डर और आप छुपा रहे थे अपने मन में जिसे, अल्लाह उजागर करने वाला[1] था तथा डर रहे थे तुम लोगों से, जबकि अल्लाह अधिक योग्य था कि उससे डरते, तो जब ज़ैद ने पूरी करली उस (स्त्री) से अपनी आवश्यक्ता, तो हमने विवाह दिया उसे आपसे, ताकि ईमान वालों पर कोई दोष न रहे, अपने मुँह बोले पुत्रों की पत्नियों कि विषय[2] में, जब वह पूरी करलें उनसे अपनी आवश्यक्ता तथा अल्लाह का आदेश पूरा होकर रहा।
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1. ह़दीस में है कि यह आयत ज़ैनब बिन्ते जह्श तथा (उस के पति) ज़ैद बिन ह़ारिसा के बारे में उतरी। (सह़ीह़ बुख़ारी, ह़दीस संख्याः4787) ज़ैद बिन ह़ारिसा नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के दास थे। आप ने उन्हें मुक्त कर के अपना पुत्र बना लिया। और ज़ैनब से विवाह दिया। परन्तु दोनों में निभाव न हो सका। और ज़ैद ने अपनी पत्नी को तलाक़ दे दी। और जब मुँह बोले पुत्र की परम्परा को तोड़ दिया गया तो इसे पुर्ण्तः खण्डित करने के लिये आप को ज़ैनब से आकाशीय आदेश द्वारा विवाह दिया गया। इस आयत में उसी की ओर संकेत है। (इब्ने कसीर) 2. अर्थात उन से विवाह करने में जब वह उन्हें तलाक़ दे दें। क्यों कि जाहिली समय में मुँह बोले पुत्र की पत्नी से विवाह वैसे ही निषेध था जैसे सगे पुत्र की पत्नी से। अल्लाह ने इस नियम को तोड़ने के लिये नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का विवाह अपने मुँह बोले पुत्र की पत्नी से कराया। ताकि मुसलमानों को इस से शिक्षा मिले कि ऐसा करने में कोई दोष नहीं है।


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