हे ईमान वालो! मत प्रवेश करो नबी के घरों में, परन्तु ये कि अनुमति दी जाये तुम्हें भोज के लिए, परन्तु, भोजन पकने की प्रतीक्षा न करते रहो। किन्तु, जब तुम बुलाये जाओ, तो प्रवेश करो, फिर जब भोजन करलो, तो निकल जाओ। लीन न रहो बातों में। वास्तव में, इससे नबी को दुःख होता है, अतः, वह तुमसे लजाते हैं और अल्लाह नहीं लजाता है सत्य[1] से तथा जबतुम नबी की पत्नियों से कुछ माँगो, तो पर्दे के पीछे से माँगो, ये अधिक पवित्रता का कारण है तुम्हारे दिलों तथा उनके दिलों के लिए और तुम्हारे लिए उचित नहीं है कि नबी को दुःख दो, न ये कि विवाह करो उनकी पत्नियों से, आपके पश्चात् कभी भी। वास्तव में, ये अल्लाह के समीप महा (पाप) है।
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1. इस आयत में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथ सभ्य व्यवहार करने की शिक्षा दी जा रही है। हुआ यह है जब आप ने ज़ैनब से विवाह किया तो भोजन बनवाया और कुछ लोगों को आमंत्रित किया। कुछ लोग भोजन कर के वहीं बातें करने लगे जिस से आप को दुःख पहुँचा। इसी पर यह आयत उतरी। फिर पर्दे का आदेश दे दिया गया। (सह़ीह़ बुख़ारी ह़दीस संख्याः4792)


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