फिर जब हमने उस (सुलैमान) पर मौत का निर्णय कर दिया, तो जिन्नों को उनके मरण पर एक घुन के सिवा किसी ने सूचित नहीं किया, जो उसकी छड़ी खा रहा था।[1] फिर जब वह गिर गया, तो जिन्नों पर ये बात खुली कि यदि वे परोक्ष का ज्ञान रखते, तो इस अपमानकारी[2] यातना में नहीं पड़े रहते।
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1. जिस के सहारे वह खड़े थे तथा घुन के खाने पर उन का शव धरती पर गिर पड़ा। 2. सुलैमान (अलैहिस्सलाम) के युग में यह भ्रम था कि जिन्नों को परोक्ष का ज्ञान होता है। जिसे अल्लाह ने माननीय सुलैमान अलैहिस्सलाम के निधन द्वारा तोड़ दिया कि अल्लाह के सिवा किसी को परोक्ष का ज्ञान नहीं है। (इब्ने कसीर)


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