आप कह दें: उन्हें पुकारो[1] जिन्हें तुम (पूज्य) समझते हो अल्लाह के सिवा। वह नहीं अधिकार रखते कण बराबर भी, न आकाशों में न धरती में तथा नहीं है उनका उन दोनों में कोई भाग और नहीं है उस अल्लाह का उनमें से कोई सहायक।
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1. इस में संकेत उन की ओर है जो फ़रिश्तों को पूजते तथा उन्हें अपना सिफ़ारिशी मानते थे।