और नहीं भेजा हमने किसी बस्ती में कोई सचेतकर्ता (नबी), परन्तु कहा उसके सम्पन्न लोगों नेः हम जिस चीज़ के साथ तुम भेजे गये हो, उसे नहीं मानते हैं।[1]
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1. नबियों के उपदेश का विरोध सब से पहले सम्पन्न वर्ग ने किया है। क्यों कि वे यह समझते हैं कि यदि सत्य सफल हो गया तो समाज पर उन का अधिकार समाप्त हो जायेगा। वे इस आधार पर भी नबियों का विरोध करते रहे कि हम ही अल्लाह के प्रिय हैं। यदि वह हम से प्रसन्न न होता तो हमें धन-धान्य क्यों प्रदान करता? अतः हम प्रलोक की यातना में ग्रस्त नहीं होंगे। क़ुर्आन ने अनेक आयतों में उन के इस भ्रम का खण्डन किया है।