और कहेंगेः हम उस[1] पर ईमान लाये तथा कहाँ हाथ आ सकता है उनके (ईमान), इतने दूर स्थान[2] से?
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1. अर्थात अल्लाह तथा उस के रसूल पर। 2. ईमान लाने का स्थान तो संसार था। परन्तु संसार में उसे अस्वीकार कर दिया।
और कहेंगेः हम उस[1] पर ईमान लाये तथा कहाँ हाथ आ सकता है उनके (ईमान), इतने दूर स्थान[2] से?
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1. अर्थात अल्लाह तथा उस के रसूल पर। 2. ईमान लाने का स्थान तो संसार था। परन्तु संसार में उसे अस्वीकार कर दिया।