यदि वह चाहे, तो तुम्हें ध्वस्त कर दे और नई[1] उतपत्ति ले आये।
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1. भावार्थ यह कि मनुष्य को प्रत्येक क्षण अपने अस्तित्व तथा स्थायित्व के लिये अल्लाह की आवश्यक्ता है। और अल्लाह ने निर्लोभ होने के साथ ही उस के जीवन के संसाधन की व्यवस्था कर दी है। अतः यह न सोचो कि तुम्हारा विनाश हो गया तो उस की महिमा में कोई अन्तर आ जायेगा। वह चाहे तो तुम्हें एक क्षण में ध्वस्त कर के दूसरी उत्पत्ति ले आये क्योंकि वह एक शब्द "कुन" (जिस का अनुवाद है, हो जा) से जो चाहे पैदा कर दे।