उन्होंने कहाः तुम सब तो मनुष्य ही हो, हमारे[1] समान और नहीं अवतरित किया है अत्यंत कृपाशील ने कुछ भी। तुम सब तो बस झूठ बोल रहे हो।
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1. प्राचीन युग से मुश्रिकों तथा कुपथों ने अल्लाह के रसूलों को इसी कारण नहीं माना कि एक मनुष्य पुरुष अल्लाह का रसूल कैसे हो सकता है? यह तो खाता-पीता तथा बाज़ारों में चलता-फिरता है। (देखियेः सूरह फ़ुर्क़ान, आयतः7-20, सूरह अम्बिया, आयतः3,7,8, सूरह मूमिनून, आयतः24-33-34, सूरह इब्राहीम, आयतः 10-11, सूरह इस्रा, आयतः94-95, और सूरह तग़ाबुन, आयतः6)