और[1] जब उनसे कहा जाता है कि डरो उस (यातना) से, जो तुम्हारे आगे तथा तुम्हारे पीछे है, ताकि तुमपर दया की जाये।
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1. आयत संख्या 33 से यहाँ तक एकेश्वरवाद तथा प्रलोक के प्रमाणों, जिन्हें सभी लोग देखते तथा सुनते हैं, और जो सभी इस विश्व की व्यवस्था तथा जीवन के संसाधनों से संबंधित हैं, उन का वर्णन करने के पश्चात् अब मिश्रणवादियों तथा काफ़िरों की दशा और उन के आचरण का वर्णन किया जा रहा है।