क्या तुमने नहीं देखा[1] कि अल्लाह ने उतारा आकाश से जल? फिर प्रवाहित कर दिये उसके स्रोत धरती में। फिर निकालता है उससे खेतियाँ विभिन्न रंगों की। फिर सूख जाती हैं, तो तुम देखते हो उन्हें पीली, फिर उसे चूर-चूर कर देता है। निश्चय इसमें बड़ी शिक्षा है मतिमानों के लिए।
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1. इस आयत में अल्लाह के एक नियम की ओर संकेत है जो सब में समान रूप से प्रचलित है। अर्थात वर्षा से खेती का उगना और अनेक स्थितियों से गुज़र कर नाश हो जाना। इसे मतिमानों के लिये शिक्षा कहा गया है। क्योंकि मनुष्य की भी यही दशा है। वह शिशु जन्म लेता है फिर युवक और बूढ़ा हो जाता है। और अंततः संसार से चला जाता है।


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