वे (फ़रिश्ते) जो अपने ऊपर उठाये हुए हैं अर्श (सिंहासन) को तथा जो उसके आस-पास हैं, वे पवित्रता गान करते रहते हैं अपने पालनहार की प्रशंसा के साथ तथा उसपर ईमान रखते हैं और क्षमा याचना करते रहते हैं उनके लिए, जो ईमान लाये हैं।[1] हे हमारे पालनहार! तूने घेर रखा है प्रत्येक वस्तु को (अपनी) दया तथा ज्ञान से। अतः, क्षमा कर दे उनको जो क्षमा माँगें तथा चलें तेरे मार्ग पर तथा बचा ले उन्हें, नरक की यातना से।
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1. यहाँ फ़रिश्तों के दो गिरोह का वर्णन किया गया है। एक वह जो अर्श को उठाये हुये है। और दूसरा वह जो अर्श के चारों ओर घूम कर अल्लाह की प्रशंसा का गान और ईमान वालों के लिये क्षमायाचना कर रहा है।


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