नहीं थकता मनुष्य भलाई (सुख) की प्रार्थना से और यदि उसे पहुँच जाये बुराई (दुःख), तो (हताश) निराश[1] हो जाता है।
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1..यह साधारण लोगों की दशा है। अन्यथा मुसलमान निराश नहीं होता।


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