वह आकाशों तथा धरती का रचयिता है। उसने बनाये हैं तुम्हारी जाति में से तुम्हारे जोड़े तथा पशुओं के जोड़े। वह फैला रहा है तुम्हें इस प्रकार। उसकी कोई प्रतिमा[1] नहीं और वह सब कुछ सुनने-जानने वाला है।
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1. अर्थात उस के अस्तित्व तथा गुण और कर्म में कोई उस के समान नहीं है। भावार्थ यह है कि किसी व्यक्ति या वस्तु में उस के गुण कर्म मानना या उसे उस का अंश मानना असत्य तथा अधर्म है।


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