उसने नियत[1] किया है तुम्हारे लिए वही धर्म, जिसका आदेश दिया था नूह़ को और जिसे वह़्यी किया है आपकी ओर तथा जिसका आदेश दिया था इब्राहीम तथा मूसा और ईसा को कि इस धर्म की स्थापना करो और इसमें भेद भाव न करो। यही बात अप्रिय लगी है मुश्रिकों को, जिसकी ओर आप बुला रहे हैं। अल्लाह ही चुनता है इसके लिए जिसे चाहे और सीधी राह उसी को दिखाता है, जो उसी की ओर ध्यानमग्न हो।
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1. इस आयत में पाँच नबियों का नाम ले कर बताया गया है कि सब को एक ही धर्म दे कर भेजा गया है। जिस का अर्थ यह है कि इस मानव संसार में अन्तिम नबी मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) तक जो भी नबी आये सभी की मूल शिक्षा एक रही है। कि एक अल्लाह को मानो और उसी एक की वंदना करो। तथा वैध-अवैध के विषय में अल्लाह ही के आदेशों का पालन करो। और अपने सभी धार्मिक तथा सामाजिक और राजनैतिक विवादों का निर्णय उसी के धर्म विधान के आधार पर करो। (देखियेः सूरह निसा, आयतः163-164)


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