और नहीं संभव है किसी मनुष्य के लिए कि बात करे अल्लाह उससे, परन्तु वह़्यी[1] द्वारा, अथवा पर्दे के पीछे से अथवा भेज दे कोई रसूल (फ़रिश्ता), जो वह़्यी करे उसकी अनुमति से, जो कुछ वह चाहता हो। वास्तव में, वह सबसे ऊँचा (तथा) सभी गुण जानने वाला है।
____________________
1. वह़्यी का अर्थ, संकेत करना या गुप्त रूप से बात करना है। अर्थात अल्लाह अपने रसूलों को आदेश और निर्देश इस प्रकार देता है, जिसे कोई दूसरा व्यक्ति सुन नहीं सकता। जिस के तीन रूप होते हैं: प्रथमः रसूल के दिल में सीधे अपना ज्ञान भर दे। दूसराः पर्दे के पीछे से बात करें, किन्तु वह दिखाई न दे। तीसराः फ़रिश्ते द्वारा अपनी बात रसूल तक गुप्त रूप से पहुँचा दे। इन में पहले और तीसरे रूप में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास वह़्यी उतरती थी। (सह़ीह़ बुख़ारीः 2)


الصفحة التالية
Icon