नहीं है वह[1] (ईसा), परन्तु एक भक्त (दास) जिसपर हमने उपकार किया तथा उसे इस्राईल की संतान के लिए एक आदर्श बनाया।
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1. इस आयत में बताया जा रहा है कि यह मुश्रिक ईसा (अलैहिस्सलाम) के उदाहरण पर बड़ा शोर मचा रहे हैं। और उसे कुतर्क स्वरूप प्रस्तुत कर रहे हैं। जब कि वह पूज्य नहीं, अल्लाह के दास हैं। जिन पर अल्लाह ने पुरस्कार किया और इस्राईल की संतान के लिये एक आदर्श बना दिया।


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