हमने ही उतारा है इसे[1] एक शुभ रात्रि में। वास्तव में, हम सावधान करने वाले हैं।
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1. शुभ रात्रि से अभिप्राय "लैलतुल क़द्र" है। यह रमज़ान के महीने के अन्तिम दशक की एक विषम रात्रि होती है। यहाँ आगे बताया जा रहा है कि इसी रात्रि में पूरे वर्ष होने वाले विषय का निर्णय किया जाता है। इस शुभ रात की विशेषता तथा प्रधानता के लिये सूरह क़द्र देखिये। इसी शुभ रात्रि में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर क़ुर्आन उतरने का आरंभ हुआ। फिर 23 वर्षों तक आवश्यक्तानुसार विभिन्न समय में उतरता रहा। (देखियेः सूरह बक़रह, आयत संख्याः 185)