तो आप प्रतीक्षा करें, उस दिन का, जब आकाश खुला धूँवा[1] लायेगा।
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1. इस प्रत्यक्ष धुवें तथा दुःखदायी यातना की व्याख्या सह़ीह़ ह़दीस में यह आयी है कि जब मक्कावासियों ने नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का कड़ा विरोध किया तो आप ने यह शाप दिया कि हे अल्लाह! उन पर सात वर्ष का अकाल भेज दे। और जब अकाल आया तो भूक के कारण उन्हें धुवाँ जैसा दिखायी देने लगा। तब उन्हों ने आप से कहा कि आप अल्लाह से प्रार्थना कर दें। वह हम से अकाल दूर कर देगा तो हम ईमान ले आयेंगे। और जब अकाल दूर हुआ तो फिर अपनी स्थिति पर आ गये। फिर अल्लाह ने बद्र के युध्द के दिन उन से बदला लिया। (सह़ीह़ बुख़ारीः 4821, तथा सह़ीह़ मुस्लिमः2798)


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