तथा याद करें, जब हमने फेर दिया आपकी ओर जिन्नों के एक[1] गिरोह को, ताकि वे क़ुर्आन सुनें। तो जब वे उपस्थित हुए आपके पास, तो उन्होंने कहा कि चुप रहो और जब पढ़ लिया गया, तो वे फिर गये अपनी जाति की ओर सावधान करने वाले होकर।
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1. आदरणीय इब्ने अब्बास (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) कहते हैं कि एक बार नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपने कुछ अनुयायियों (सह़ाबा) के साथ उकाज़ के बाज़ार की ओर जा रहे थे। इन दिनों शैतानों को आकाश की सूचनायें मिलनी बंद हो गई थीं। तथा उन पर आकाश से अंगारे फेंके जा रहे थे। तो वे इस खोज में पूर्व तथा पशिचम की दिशाओं में निकले कि इस का क्या कारण है? कुछ शैतान तिहामा (ह़जाज़) की ओर भी आये और आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) तक पहुँच गये। उस समय आप "नखला" में फ़ज्र की नमाज़ पढ़ा रहे थे। जब जिन्नों ने क़ुर्आन सुना तो उस की ओर कान लगा दिये। फिर कहा कि यही वह चीज़ है जिस के कारण हम को आकाश की सूचनायें मिलनी बंद हो गई हैं। और अपनी जाति से जा कर यह बात कही। तथा अल्लाह ने यह आयत अपने नबी पर उतारी। (सह़ीह़ बुख़ारीः 4921) इन आयतों में संकेत है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जैसे मनुष्यों के नबी थे वैसे ही जिन्नों के भी नबी थे। और सभी नबी मनुष्यों में आये। (देखियेः सूरह नह़्ल, आयतः 43, सूरह फ़ुर्क़ान, आयतः20)


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