ये इसलिए कि उन्होंने बुरा माना उसे, जो अल्लाह ने उतारा और उसने उनके कर्म व्यर्थ कर[1] दिये।
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1. इस में इस ओर संकेत है कि बिना ईमान के अल्लाह के हाँ कोई सत्कर्म मान्य नहीं है।
ये इसलिए कि उन्होंने बुरा माना उसे, जो अल्लाह ने उतारा और उसने उनके कर्म व्यर्थ कर[1] दिये।
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1. इस में इस ओर संकेत है कि बिना ईमान के अल्लाह के हाँ कोई सत्कर्म मान्य नहीं है।