वास्तव में जो आपको पुकारते[1] हैं कमरों के पीछे से, उनमें से अधिक्तर निर्बोध हैं।
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1. ह़दीस में है कि बनी तमीम के कुछ सवार नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास आये तो आदरणीय अबू बक्र (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने कहा कि क़ाक़ाअ बिन उमर को इन का प्रमुख बनाया जाये। और आदरणीय उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने कहाः बल्कि अक़रअ बिन ह़ाबिस को बनाया जाये। तो अबू बक्र (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने कहाः तुम केवल मेरा विरोध करना चाहते हो। उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने कहाः यह बात नहीं है। और दोनों में विवाद होने लगा और उन के स्वर ऊँचे हो गये। इसी पर यह आयत उतरी। (सह़ीह़ बुख़ारीः4847) इन आयतों में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के मान-मर्यादा तथा आप का आदर-सम्मान करने की शिक्षा और आदेश दिय गया है। एक ह़दीस में है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने साबित बिन क़ैस (रज़ियल्लाहु अन्हु) को नहीं पाया तो एक व्यक्ति से पता लगाने को कहा। वह उन के घर गये तो वह सिर झुकाये बैठे थे। पूछने पर कहाः बुरा हो गया। नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास ऊँची आवाज़ से बोलता था, जिस के कारण मेरे सारे कर्म व्यर्थ हो गये। आप ने यह सुन कर कहाः उसे बता दो कि वह नारकी नहीं वह स्वर्ग में जायेगा। (सह़ीह़ बुख़ारी शरीफ़ः 4846)