तथा आकाश को हमने बनाया है हाथों[1] से और हम निश्चय विस्तार करने वाले हैं।
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1. अर्थात अपनी शक्ति से।
तथा आकाश को हमने बनाया है हाथों[1] से और हम निश्चय विस्तार करने वाले हैं।
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1. अर्थात अपनी शक्ति से।