और तुम्हें क्या हो गया है कि ईमान नहीं लाते अल्लाह पर, जबकि रसूल[1] तुम्हें पुकार रहा है, ताकि तुम ईमान लाओ अपने पालनहार पर, जबकि अल्लाह ले चुका है तुमसे वचन,[2] यदि तुम ईमान वाले हो।
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1. अर्थात मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम)। 2. (देखियेः सूरह आराफ़, आयतः 172)। इब्ने कसीर ने इस से अभिप्राय वह वचन लिया है जिस का वर्णन सूरह माइदा, आयतः 7 में है। जो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के द्वारा सह़ाबा से लिया गया कि वह आप की बातें सुनेंगे तथा सुख-दुःख में अनुपालन करेंगे। और प्रिय और अप्रिय में सच बोलेंगे। तथा किसी की निन्दा से नहीं डरेंगे। (बुख़ारीः 7199, मुस्लिमः1709)


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